Coronavirus Kya Hai In Hindi (covid -19) क्या है ?

Coronavirus Kya Hai In Hindi  (covid -19)क्या है ?

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने करोना का नाम कोविद -19 (covid-19) रखा गया है, जहां co का अर्थ है कोरोना (corona), vi का अर्थ है वायरस (virus),D का अर्थ है डिसीस (disease) और 19 का अर्थ है साल 2019 यानी जीस वर्षा यह बीमारी पैदा हुई। इस वायरस का सबसे पहले चीन के वुहान प्रांत में देखा गया जो धीरे-धीरे पूरे विश्व में फैल गया है

इसकी उत्पत्ति कहां से हुई

कोरोना कि उत्पत्ति सबसे पहले 1930 में एक मुर्गी में हुई थी और इसने मुर्गी के स्वसन प्रणाली को प्रभावित किया था और आगे चलक 1940 मैं कई अन्य जानवरों में भी पाया गया। इसके बाद सन 1960 में एक व्यक्ति में पाया गया जिसे सर्दी की शिकायत थी। इन सब के बाद वर्ष 2019 में इसे दुबारा इसका विकसाल रुप चीन में देखा गया जो अब धीरे-धीरे पूरे विश्व में फैलता जा रहा है इसे रोकना बहुत जरुरी है

कोरोना के लक्षण

1 बुखार 2 सर्दी और खासी 3 गले में खराश 4 शरीर में थकान 5 सांस लेने में दिक्कत (सबसे प्रमुख) 6 मांसपेशियों में जकड़न, 7 लंबे समय तक थकान। इसके सक्रियता निम्न प्रकार के वर्ग आयु समूह पर अधिक है। Coronavirus Kya Hai In Hindi

खुद को करोना से कैसे बचाएं

कोरोना का संक्रमण बड़ी आसानी से फैल जाता है और इसकी अब तक कोई दवा नहीं मिली है इसलिए इसे बहुत घातक रोग की श्रेणी मैं रखा गया है। कोरोना के मामले में दिन प्रतिदिन पूरी दुनिया में बढ़ते जा रहे हैं। WHO ने इसे महामारी घोषित कर दिया है। इतिहास इस बात का गवाह है कि हर 100 वर्ष पर दुनिया में कोई न कोई महामारी जरूर आती है और सब से बचने का सबसे अच्छा उपाय बचाओ है।

कुछ ऐसा कदम जो आप निजी तौर पर ले सकते हैं जिससे आप खुद को इससे बचा सकते हैं

हमेशा अपने हाथ धोएं।
अपने मुंह को बार-बार ना छुएं।
सबसे 5 या 6 फीट की दूरी बना कर रहें।
बहुत आवश्यक ना हो तो घर से बाहर ना जल्दी निकलें।

(c) सार्वजनिक स्थानों पर जैसे कि मॉल, बाजार आदि जगहों पर न जाएं। (f) अपने रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करें। (g) लोगों से हाथ न मिलाएं।

(h) मास्क लगाना उस व्यक्ति के लिये आवश्यक होता है जो कोरोना से ग्रसित होता है, परंतु कई चार संक्रमित व्यक्ति को पता ही नहीं होता की उसे कोरोना है, इसलिये अपनी सुरक्षा अपने हाथों में। मास्क अवश्य लगाएं। Coronavirus Kya Hai In Hindi

(1) रेलगाड़ी, बस आदि से यात्रा करने से बचें। (i) कम से कम 20 सेकेंड तक साबुन से हाथ धोना न भूलें।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड और नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) से प्राप्त सूचना के आधार पर हम आपको कोरोना वायरस से बचाव के तरीके बता रहे हैं। एयरपोर्ट पर यात्रियों की स्क्रीनिंग हो या फिर लैब में लोगों की जांच, सरकार ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए कई तरह की तैयारी की है। इसके अलावा किसी भी तरह की अफवाह से बचने खुद की सुरक्षा क लिए कुछ निर्देश जारी किए हैं जिससे कि कोरोना वायरस से निपटा जा सकता है। Coronavirus Kya Hai In Hindi

लगभग 18 साल पहले सार्स करोना वायरस से भी ऐसा ही खतरा बना था। 2002-2003 में सार्स करोना वायरस की वजह से हमारे पूरी दुनिया में 700 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। पूरी दुनिया में हजारों लोग इससे संक्रमित हुए थे। इसका असर आर्थिक गतिविधियों पर भी पड़ा था। कोरोना वायरस के बारे में अभी तक इस तरह के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि कोरोना वायरस पार्सल, चिट्टियों या खाने के जरिए फैलता है। कोरोना वायरस जैसे वायरस शरीर के बाहर बहुत ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रह सकते।

कोरोना वायरस को लेकर हर एक लोगों में एक अलग ही खतरनाक बेचैनी देखने को मिली है। मेडिकल स्टोर्स में लोगों ने जाकर मास्क और सैनेटाइजर खरीद रहें है तो इसीलिए कमी हो गई है, क्योंकि लोग इसे तेजी से खरीदने के लिए दौड़ रहे हैं। परन्तु सैनेटाइजर का उपयोग तभी करना चाहिए जब आप ऐसे स्थान पर है जहां पानी की सुविधा नहीं हैं या बार-बार हाथ धोना संभव नहीं है। इसके अलावा बहुत महंगे मास्क पहनना जरूरी नहीं है। इसके लिए घर पर बने मास्क, तौलिया या रूमाल से भी अपने मुंह को ढक कर रह सकते हैं।

क्या कोरोना वायरस से मृत्यु निश्चित होती है- नहीं जरूरी नहीं की आपको यदि कोरोना है तो अब बचने की कोई उम्मीद नहीं है। सच यह है कि जितनी जल्दी आपको इसका पता लगता है अपने नजदीकी अस्पताल जरूर जाएँ, क्योंकि इसका उपचार घर पर मुमकिन नहीं है और बाकी परिवार वाले भी संक्रमित हो सकते हैं। Coronavirus Kya Hai In Hindi

निष्कर्ष – सतर्क रहें, स्वच्छ रहें, स्वस्थ्य रहें और कोरोना को समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करें। इससे पहले भी कई महामारी आई हैं, जिन पर हमने पूरी तरह से विजय हासिल की है और इसी तरह कोरोना को भी हम साथ मिलकर हराएंगे। दूसरों के चक्कर में पड़ने से अच्छा है अपनी रक्षा करें, यही काफी है।

आरक्षण नीति

सामान्यतः सामाजिक न्याय का अर्थ सभी को समान सुविधा, समान शिक्षा तथा क्षमताओं के विकास और सत्ता में भागीदारी के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना है। कहने का तात्पर्य है कि सभी लोगों को भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा तथा विकास का समान अवसर उपलब्ध कराना ही सामाजिक न्याय का लक्ष्य है। दूसरे शब्दों में, व्यक्ति को आर्थिक अवसर तथा राजनीतिक अधिकारों की समानता, प्रत्येक को अपनी क्षमताओं के विकास के लिए सक्षम बनाना सामाजिक न्याय का मुख्य अभिप्राय है। है। भारत का संविधान अपने लक्ष्यों में इस विचार को समाहित किये हुए है, Coronavirus Kya Hai In Hindi

परन्तु भारतीय सन्दर्भ में सामाजिक न्याय का अर्थ यहीं तक सीमित नहीं है। इसका लक्ष्य आर्थिक तथा राजनीतिक समानता के साथ सदियों से चली आ रही अन्यायपूर्ण सामाजिक व्यवस्था को ध्वस्त कर एक नये सत्तापूर्ण समाज की रचना करना है। महात्मा फुले के शब्दों में, सामाजिक न्याय, सामाजिक औचित्य को कहते हैं। समाज में औचित्य तभी संभव है जब अवसर की समानता हो तथा जाति आधारित समाज-व्यवस्था को समाप्त करना और पूर्व की सामाजिक व्यवस्था समाप्त करके एक नये समतापूर्ण समाज की रचना की जाए।

आधुनिक काल में न्यायपूर्ण सामाजिक तथा राष्ट्रीय जीवन के निर्माण के लिए विकासतंत्र में प्रतियोगिता के दौर से विरत पिछड़ों को अवसर उपलब्ध कराने की व्यवस्था को आरक्षण कहा जाता है। इसका उद्देश्य अन्यायपूर्ण, जाति आधारित समाज-व्यवस्था को समाप्त करना और पूर्व की सामाजिकव्यवस्था की बदौलत विकास के दौर में पिछड़ गये तथा दलित समूह को विकास का अवसर उपलब्ध कराना है। इस प्रकार, आरक्षण वर्ण, लिंग तथा जातीय उत्पीड़न के खिलाफ एक सशक्त राजकीय व्यवस्था बन कर सामने आयेगा।

सामान्यतः आरक्षण की अवधारणा सामान्य सामाजिक न्याय से अलग किसी विशेष वर्ग, जाति, समाज या क्षेत्र के विकास तथा सुरक्षा के विशेष उपबंध से जुड़ी है। भारत में आरक्षण के अन्तर्गत पिछड़ी तथा दलित जातियों के विकास के लिए राजकीय व्यवस्था द्वारा नौकरी, शिक्षा तथा वित्तीय व्यवस्था में विशेष अवसर उपलब्ध कराया जाता है। इस उपबंध को सामाजिक न्याय स्थापित करने तथा समतामूलक समाज का निर्माण करने के रास्ते में एक कारगर उपाय माना गया है। इस प्रकार, आरक्षण सामाजिक न्याय का पूरक बनकर सामने आया है।

1990 में वी० पी० सिंह सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया। इसके द्वाराकेन्द्रीय सरकार की नौकरियों में पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण देने का प्रावधान लागू हुआ। इस कदम की तीखी प्रतिक्रिया हुई और उत्तर भारत में आरक्षण विरोधी ज्वाला भड़क उठी। पिछड़ों को आरक्षण देने के प्रावधान को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमे दायर हुए।

सर्वोच्च न्यायालय ने सरकारी अध्यादेश के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी। बाद में मुख्य न्यायाधीश एम एच कानिया की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय की नौ सदस्यीय खंडपीठ ने एक ऐतिहासिक निर्णय दिया। इसमें सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण देने की व्यवस्था को वैध करार दिया गया, लेकिन खंडपीठ ने आर्थिक आधार पर ऊंची जाति के कमजोर लोगों के लिए 10% अतिरिक्त आरक्षण देने के प्रावधान को असंवैधानिक करार दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में माना कि पदोन्नति के मामले में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। साथ ही असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर 50% से अधिक आरक्षण की व्यवस्था नहीं की जा सकती। खंडपीठ ने सामाजिक न्याय के दर्शन के औचित्य को मानते हुए यह भी निर्णय दिया कि पिछड़ी जातियों के सम्पन्न और दबंग लोगों के पुत्र-पुत्रियों को आरक्षण का लाभ देना उचित नहीं है।

इसके लिए क्रीमीलेयर की पहचान कराने और उनको आरक्षण से वंचित करने का सुझाव दिया गया। यह निर्णय सामाजिक न्याय को विस्तार देने के मामले में एक ऐतिहासिक कदम सिद्ध हुआ, क्योंकि सीधे आरक्षण की व्यवस्था करने से पिछड़ी जातियों के मध्य नवब्राह्मणवाद का उदय होने तथा आरक्षण का लाभ मुट्ठीभर साधन-सम्पन्न लोगों द्वारा हड़प लिये जाने का खतरा उत्पन्न हो गया था।

लिये जाने का खतरा उत्पन्न हो गया था। 22 फरवरी, 1993 को क्रीमीलेयर की पहचान के लिए पटना उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त


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