Bijali Ka Mahatva :-बिजली का महत्व क्या है?

Bijali Ka Mahatva :- दोस्तों हम आप लोगों को बता दें कि बिजली भी विज्ञान की ही एक देन है। यह मनुष्य के जीवन का बहुत महत्वपूर्ण अंग है।विज्ञान के जितने भी आविष्कार है। विद्युत उनमें सबसे प्रमुख है। यह हमारे जीवन में प्रतिदिन प्रयोग में लाई जाती है। सचमुच,विद्युत मनुष्य इसने मनुष्य के लिए एक वरदान है

दोस्तों हम बता दें की जीवन को खुशियों से भर दिया है।विद्यत ने हमें वायरलेस टेलीग्राफी दी है। टेलीफोन हमारे लिए बहुत लाभदायक है। यह हमारे संदेश विश्व में कहीं भी पहुँचा देता है। संदेशों का आदान- तुरंत पहुँचा प्रदान करने वाला यह एक महत्वपूर्ण यंत्र है।

दोस्तों इसी प्रकार टेलीविजन, रेडियो और सिनेमा विद्युत से चलने वाले ही प्रमुख यंत्र हैं। रेडियो पर हम गीत, कहानी समाचार आदि सुन सकते हैं। और सिनेमा मनोरंजन ‘एक सस्ता और सलभ का साधन है। हमारे जीवन को सुंदर बनाने के लिए फोटोग्राफी ने अदा की है ने भी भी महत्वपूर्ण भूमिका हमारे घरेलू जीवन में विद्युत किसी वरदान से कम नहीं है।

दोस्तों यह एक आज्ञाकारी सेवक की करती है। बिजली तरह काम करती हमारे घर को हर समय प्रकाशमान रखती है। यह हमारा खाना बनाती है। Bijali Ka Mahatva

 Bijali Ka Mahatva Kya Hai :-बिजली का महत्त्व क्या है?

दोस्तों हम आप लोगों को बता दें कि बिजली का महत्व क्या है बिजली दूध और पानी उबालती है। हमारे कपड़े धोती है। उन्हें आयरन करती हैं, हमारे घर को वातावरण गर्म या ठण्डा करती है। इसके के अनुकूम गर्म अतिरिक्त यह विद्युत के पंखे से हमें ठण्डी हवा देती है।

दोस्तों बिजली कई प्रकार की मानवीय बीमारियों में भी बहुत उपयोगी है। एक्स-रे तो विज्ञान का वरदान है। यह विद्युत की सहायता से शरीर के अंदर की बीमारियों का पता लगाता है। हमारे उद्योग जगत में भी बिजली बहुत उपयोगी है। इसके सहयोग से उद्योगों का खूब विकास हुआ है।

हम आप लोगों को बता दें कि इससे मिलों और फैक्टरी में भारी- भरकम विशाल मशीनें संचालित होती हैं। बिजली की सहायता से ही बड़ी बड़ी नहरें और कुएँ खोदे जाते हैं। और इसी की सहायता से हम ट्यूब-बैलों से सिंचाई करते हैं। बिजली के यंत्रों से ही ब्रिज (पुल) बनाए जाते हैं और नदियों का रास्ता भी बदल दिया जाता है मदद ज्ञान बढ़ाने में भी विद्युत हमारी बहुत कर रही है।

यह विद्युत-शक्ति का ही चमत्कार है कि कि हज़ारों-लाखों समाचार-पत्र, मैगज़ीन और पुस्तकें प्रतिदिन प्रकाशित हो रही हैं। अतः यह बिजली केवल हमारे घरों को ही प्रकाशमान नहीं कर रही, अपितु हमारे मस्तिष्क को भी आलोकित कर रही है । इस प्रकार हम जानते हैं कि बिजली हमारी प्रत्येक गतिविधि को नियंत्रित कर रही है। आज बिजली के बिना हम दो कदम भी नहीं चल सकते । इसके अभाव में हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। अपने जीवन की पर हमें विद्युत की आवश्यकता कदम-कदम पर हमें पड़ती है।

बिजली के लाभ

दोस्तों हमारे लिए बिजली आज के युग में हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुकी है। इसके बिना हमारा जीवन निरर्थक – सा प्रतीत होता है। इसमें ऐसी चमत्कारिक शक्ति है जिसesom हमारा दैनिक जीवन बहुत प्रभावित हुआ है। यहाँ तक कि इसके बिना हमारे उद्योग-धन्धे तथा कृषि भी प्रभावित हुए बिना नही रहे है।

दोस्तों हमारे विद्युत द्वारा चलने वाले नलकूपों से खेतो में सिंचाई भी सुगम हो गई है।अगर हम इसके विपरीत यदि हम कल्पना करें कि आज बिजली ना होती तो हमारा जीवन कैसा होता ?और हमे सोचकर ही यह एक भय सा लगता है कि हम कितनी परेशानियों से गुजर रहे होते है।

दोस्तों अगर गर्मी के दिनों में अगर बिजली न होती तो, न तो पंखे चलते, न कूलर और न ही एयर-कंडिशनर ে(वातानुकूलित ) चलते। गर्मी से हमारा बरा हाल होता। सर्दी के दिनों में कि हम कितनी परेशानियों से गुजर रहे होते।

दोस्तों हमारे लिए गर्मी के दिनों में बिजली न रोशनी के बिना अँधेरा तो होता ही, साथ ही गीजर के बिना पानी गर्म ,होती तो, न तो पंखे चलते, न कूलर और न ही एयर कंडिशनर (वातानुकूलित) चलते। गर्मी से हमारा बुरा हाल होता। सर्दी के दिनों में नही होता तथा हम अपना कमरा भी गर्म नही कर पाते।

विद्यार्थियों के लिए तो परीक्षा के दिनों में यह एक अभिशाप – सी बन जाती। वे अपनी परीक्षा की तैयारी भली-भांति नही कर पाते। इसके अतिरिक्त बिजली के बिना कारखानों की गति मन्द पड़ जाती। कृषि का उत्पादन भी प्रभावित होता। ट्यूबवेल न चल पाने से खेतो की सिंचाई बहुत महंगी पडती जिससे हमारे उत्पादन में कमी आती।

इसके बिना एक्सरे, कैट-स्कैन व अल्ट्रासाउंड जैसे अनेको यंत्र आती। इसके बिना एक्सरे, कैट-स्कैन व अल्ट्रासाउंड जैसे अनेको यंत्र जो बिलजी से चलाए जाते है, न चलाई जाने पर हमे अनेक रोगों के इलाज में कठिनाई होती है।

बिजली ने जो हमे अन्य बहुत से सुविधाए प्रदान की है जैसे रेडियो, टेलीवि, टेलीग्राम, बेतार का तार आदि इनसे हम वंचित रह जाते। यहाँ तक कि इसके द्वारा जो अनेको तीव्रगामी यातायात के साधन जैसे ट्रामे, रेले आदि चलाई जाती है, नही चल पाती, जिससे हमारा जीवन बहुत धीमी गति से चल रहा होता। इनके अतिरिक्त अन्य अनेको सुविधाए जैसे कैमरों द्वारा फोटो नही खीचे जाते, फोटोस्टेट न होने पर हमारे अनेको कामो में बाधा पडती। इस तरह यह जीवन के हर क्षेत्र में उपयोगी बन चुकी है, इसके बिना जीवन बड़ा दूभर हो जाता है।

संक्षेप में हम यह कह सकते है कि विद्युत जो आज के युग की बहुत ही आश्चर्यजनक व लाभकारी खोज है यदि यह न होती तो हमारा जीवन बड़ा ही भयावह, निरर्थक तथा कष्टदायक होता है।

बिजली : आधुनिक जीवन की रीढ़

आज कल बिजली के अभाव में एक पल भी बिता पाना मुस्कील हो जाया करता है। बिजली! हाय बिजली,क्षण के लिए भी यदि कहीं बिजली गुल हो जाती है, तो चारों तरफ हाय-तोबा मच जाती है। लगता है, जैसे तेज गति से भाग रही गाड़ी को अचानक ब्रेक लग जाने से वह एक झटके के साथ रुक गई हो। सभी लोग एकदम बेकार बेबस !

कमीजों, बनियानों को सहलाते-उछालते हुए ठंडी या गरम किसी भी  प्रकार की हवा के एक झोंके के लिए तड़पने लगते हैं। छोटे-बड़े ठप्प कल-कारखाने, फैक्टरियां, दुकानें, दफ्तर और घर सभी जगह काम-काज ठप्प और विद्युत विभाग की खरी-खोटी आलोचना आरंभ। यह है बिजली के अभाव में आज के जीवन की स्थिति और विषम गति- दशा। गर्मियों का आरंभ होते ही सारे देश में इस प्रकार का अनुभव किया जाता है।

सचमुच आज कल सारे वैज्ञानिक व्यावसायिक और व्यावहारिक संसार का जीवन बिजली की रीढ़ पर हीं टिका हुआ है। मौसम सर्दी-गर्मी और कोई अन्य कुछ भी क्यों न हो, आज का जीवन बिजली के अभाव में एक कदम भी नहीं चल सकता। बिजली जहां एक झटके में मानव के प्राण ले सकती है, वहीं प्राणदान और रक्षा के लिए भी आधुनिक चिकित्सा विज्ञान उसके झटकों का भरपूर प्रयोग करता है । ऑपरेशन -थिएटर हो या फिर रोगी देखने एंव औषधि-वितरण-कक्ष,बिजली तो रहनी ही चाहिए।

शहरी जीवन ही नहीं, आज ग्रामीण gyan जीवन भी बिजली के अभाव में अपने को लंगड़ा-लूला अनुभव करने लगा है। पहले ग्रामीण लोग ज्यों-त्यों कर समय काट लिया करते थे ।अपने सभी प्रकार के दैनिक कार्य फिर चाहे वह कृषि-कार्य ही क्यों न हो, निश्चिंत होकर कर लिया करते थे। रात को घरों में सरसों – मिट्टी के तेल का दीपक टिमटिमाकर उजाला कर लिया करते थे । परंतु आज ?

हमारे इस ग्राम-विद्युतिकरण की प्रक्रिया ने वहां के जीवन के मानव मूल्यों,सांस्कृतिक चेतनाओं को भी एक दम बदलकर, परावलंब बनाकर रख दिया है। और अन्य कोई कार्य तो क्या, वहां की धर्मशाला में भी आज बिजली के अभाव में आरती-पूजन नहीं हो पाता। ट्यूबवैल न चलने से खेत सूखे रह जाते हैं और फसलें अनबोई रह जाती है। Bijali Ka Mahatva

कटाई- बुआई  तक संभव नहीं। वहां के परिश्रमी और स्वावलंबी मनुष्यों को भी बिजली ने आज पूरी तरह से अपना गुलाम बनाकर, अभाव में निकम्मा और बेकार करके रख दिया। वहां का चेतनागत एंव सक्रियता से संबंधित संसार ही बदल दिया है। नगरों की दशा और भी विचित्र है। वहां कई-कई घर तो ऐसे भी हैं  कि जहां बिजली के अभाव में खाना तक बन पाना संभव नहीं हो पाता। बिजली की अंगीठी से जो काम चलाया जाता है।

फ्रिज, हीटर,कूलर, रेडियो, टेलीविजन, टेलीफोन यहां तक कि नलों से टपकने वाला पानी भी तो बिजली के दम से ही आबाद है। भला जब वह ही विद्युत प्रदान विभाग की कार्य-कुशलता की कृपा से कोई कहीं लंबी यात्रा पर चली जाएगी, तो क्यों न आबाद नाबाद होने को विवश हो जाएगा? याद करिए उस क्षण को, जब आप किसी थिएटर में बैठकर चलचित्र| या नाटक आदि, अथवा सास्कलि कार्यक्रम तन्मयता से देखकर आनंदित हो रहे हैं,

तभी सहसा बिजली गुल हो गई और आपके आस-पास बैठी महिलांए न केवल दहशत, बल्कि हॉल में बैठे तथाकथित  सुसभ्य-सुसंकृत दर्शकों के अंधेरे में चलने वाले व्यापारों से पीडित होकर चीत्कार करने लगीं, तब कितना – कितना कोसा गया होगा आधुनिक जीवन की रीढ़ इस बिजली को। कितने-कितने सदवचन उच्चारे गए होंगे इस रीढ़ की संचालकों के प्रती। ये सभी अनुभव की बातें, जिनके वर्णन – ब्यौरे कई बार समाचार-पत्रों में भी पढने को मिल जाया करते हैं। Bijali Ka Mahatva

स्पष्ट है कि बिजली ने मानव को उसके भीतर तक अपना गुलाम बना लिया है।इस प्रकार व्यक्ति से लेकर समष्टि तक सारा जीवन और उसके सभी प्रकार के क्रिया- व्यापार कल प्राय: बिजली पर आश्रित हैं। आपने यह घटना भी कहीं जरूर पढ़ी या सुनी होगी कि जब बिजली की कृपा से भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु को आधे घंटे भर या काफी समय तक लिफ्ट के बीच बंद होकर अँधेरे में लटके रहना पड़ा था।

भारत की बात छोडिए कि जहां हम प्रत्येक क्षण बिजली की आंख-मिचौली से दो-चार क्षणों के लिए बिजली चली गई थी, तो वहां के राष्ट्रपति और सरकार को क्षमा-याचना करके लोगों के आक्रोश को शांत करना पड़ा था। हो भी क्यों न ! जब किसी की रीढ़ पर ही वार हो, तो अमेरिका भारत तो है नहीं कि जो चुप रह जाए, या हो-हल्ले का कुछ परिणाम ही न हो। यहां हो न हो, वहां तो होता ही है। व्यवहार के स्तर पर आज जीवन के अधिकांश काम बिजली पर आश्रित हैं। Bijali Ka Mahatva

ट्रेनें, ट्रामें, ट्रॉलियां, लिफ्टें, पंखें, कूलर, फ्रिज आदि की 3.33 बात तो जाने दीजिए, आज का जीवन बिजली के अभाव में दिन के चौड़े प्रकाश में भी अंधा बनकर रह जाता है। सारे काम, सारी गतिविधियां जहां की तहां स्थगित होकर रह जाया करती हैं। ठीक भी तो है, जब रीढ़ ही ठीक न होगी, सीधी न रह पाएगी, तो शरीर किसी काम के लिए खड़ा ही नहीं हो पाएगा?

क्या हमारी तरह आप भी महसूस नहीं करते कि भारतीय विद्युत प्रदान विभाग हम आदमियों के साथ-साथ देश की भी रीढ़ को तोड़-मरोडक़र रख देने पर तुले हुए हैं।यहां जो भ्रष्टाचार और निहित स्वार्थों वाली मानसिकता काम कर रही है, निश्चय ही वह स्वतंत्र भारत के माथे पर एक गहरा काला धब्बा है। प्रकाश की छाया में पनपता अंधेरा, गहरा काला धब्बा यानी कलंक।


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