Nasha Sevan Se Mukti :- नशा सेवन से मुक्ति कैसे हुए

Nasha Sevan Se Mukti ;- भारत में आज के वर्तमान समय में नशा का तनाव युवकों में सबसे अधिक होते जा रहे हैं। आज भी युवा नशा तथा धुम्रपान करने को अपनी शान समझते हैं। नशा करने वाला व्यक्ति अपना मान सम्मान सब कुछ खो देता है। नशे ने हमारे पुरे देश को घेर लिया है। नशा के कारण कोई भी अपना अच्छा और बुरा नहींसमझ पाते हैं और वह गलत राह पर चलने लगते हैं। दोस्तों आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से बताने जा रहे हैं कि नशा मुक्ति कैसे होए अगर आप नशा मुक्ति के बारे में जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को ध्यान पूर्वक शुरू से अंत तक जरूर पढ़ें

हमारे देश के युवाओं के भविष्य को उज्जवल के लिए उन्हें नशे के जाल से बाहर निकलना होगा। लोगों को नशा मुक्ति से आजाद करने के लिए देश में बहुत से नशा मुक्ति केंद्र भी खोले गए हैं। नशीले पदार्थ बेचने तथा खरीदने वालों को कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए। अपने देश को नशा मुक्त करने के लिए परिवार, समाज तथा देश को मिलकर कोशिश करना होगा। नशा करने वाले व्यक्ति कोप्यार और सहानुभूति से नशा मुक्त करना होगा ।

नशा कई तरह का होता है, जैसे 1 शराब,2 सिगरेट, 3 गुटका,4 गंजा, 5 बीयर, 6 कोकीन,7 चरस इत्यादि । आज कल युवाओं में नशे का प्रमान बहुत ज्यादा देखने को मिलता है। हमारे देश के युवाओं का जीवन अंधकार में जा रहा है। वह व्यक्ति अपने पारिवारिक तथा सामाजिक और आर्थिक छवि को खो देता है।

नशा करने वाले सिगरेट, तम्बाकू, हशीश और अन्य पदार्थका सेवन करते हैं। नशे का सेवन सिर्फ युवा लोग ही कर रहे हैं क्योकि वे लोग विदेशों की संस्कृत को अपनाना चाहते हैं। नशा करने को वे लोग फैशन समझ लिए हैं। इन्ही के कारण नशे में हमारे पुरे देश को घेर लिया है। नशा करने की लत से हमने बड़े-बड़े घरों को उजड़ते देखा है ।

जो व्यक्ति शौक के तौर पर नशा करता है उन्हें उनके में दोस्त भी मुफ्त शराब पिलाते हैं। शराब पीने की जिनकी आदत पड़ जाती है उनकी शराब की आदत कभी नहींछूटती है। नशा करने वाला व्यक्ति दिन भर की कमाई को शराब के पीछे उड़ा देता है जिसके कारण गरीबी बढ़ती है, कई ऐसे परिवार है जिन्हें एक वक्त के लिए रोटी नहीं होते हैं, जिसके कारण उन्हें भूखा सोना पड़ रहा है। नशा करने वाला व्यक्ति को खाना नहीं मिलेगा चलेगा लेकिन उसे नशा का मिलना जरुरी होता है।

नशा करने की लत से व्यक्ति का शरीर नष्ट हो जाता है। तम्बाखू, शराब, सिगरेट अधिक पीने से फेफड़े, गुर्दा, दिलख़राब होने लगता है। हमें मालूम है की धुम्रपान हमारे शरीर के लिए हानिकारक है, धुम्रपान करने से मुहं में कैंसर होता है जिसके कारण व्यक्ति का उम्र कम होने लगता है।

नशाखोरी सिर्फ भारत का ही नहीं पुरे विश्व का समस्या है। नशा एक ऐसी चीज है जो अच्छे खासे बने बनाए इंसान को बर्बाद कर दिया है। सरकार को नशा वाला चीज को पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए। Nasha Sevan Se Mukti


2  सेवन मनुष्य की वे बुरी आदतें हैं जो दिमाग की शिथिल कर देती है। नशा मनुष्य को भूल-भुलैया की दुनिया की सैर कराती है। नशा थोड़ी देर के लिए मनुष्य को तनाव रहित कर देती है। नशा चाय, कॉफी और कोको से भी होती है। सिगरेट-पान, मारफीन-पान, मदिरापान, ब्राउन सुगर पान, गुटका पान, हीरोइन पान, तम्बाकू पान, चरस-पान, अफीम-पान डेमैरोल-पान, स्मैक पान, गाँजा पान और ड्रग पान नशा के देने वाले अन्य सहयोगी पर खतरनाक पेय पदार्थ हैं।

एल एस डी विस्मृति लाकर आकाश में उड़ाती है। कोकीन का प्रयोग लोग वर्ष-दर-वर्ष करते रहते हैं। नशे में नशेड़ी चूमना चाहते है, भले ही मरना क्यों न पड़े। नशे में लोग पागलों का-सा व्यवहार करने लगते हैं। वे हिस्टीरिया रोगी की तरह बेहोश होने लगते हैं। वे स्पर्श-सुख के लिए छटपटाने लगते हैं। नशा सेवन कहीं से भी प्रशंसनीय नहीं है, फिर भी दुनिया शराब पीती ही रहती है। Nasha Sevan Se Mukti

एक रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक तम्बाकू से हर साल 80 लाख की मौत तक आँकड़ा पहुँच जाएगा। तम्बाकू सेवन से होने वाले रोगों के कारण विश्व में हर साल लगभग 60 लाख लोगों की मौत होती है। इनमें 6 लाख से ज्यादा लोग सेकेंड हैंड स्मोकर (सिगरेट पियक्कड़) होते हैं। दुनिया में 1 अरब लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं। तम्बाकू के कारण मौत के घाट उतरनेवालों में 80% आबादी लोअर और मिडिल इनकम वाले देशों की होगी।4 हजार से ज्यादा केमिकल्स स्मोकिंग टवैकों में होते हैं, इनमें से 250 से ज्यादा बेहद खतरनाक होते हैं और 50 से ज्यादा कैंसर कारक होते हैं। भारत में विश्व में तम्बाकू

की खपत का दूसरा बड़ा देश है। विश्व में तम्बाकू के कारण जान गँवाने वाली आबादी का छठवाँ हिस्सा भारत में है। 53.5 प्रतिशत भारतीय तम्बाकू सेवन करने वालों में पाए गए जिसमें पुरुषों की संख्या महिलाओं से ज्यादा है। भारत में तम्बाकू सेवन के कारण हर साल आठ से नौ लाख लोगों की मौत होती है।

नशा मनुष्य को बर्बाद कर देती है। नशा नशेड़ी के शरीर को नष्ट और दिमाग को भ्रष्ट कर देती है। लोग इससे यह लाभ समझते हैं कि वे प्रेयसी को ज्यादा संतुष्टि दे सकेंगे। लोग यह समझते हैं कि वे थोड़ी देर के लिए तनाव रहित हो जाते हैं। लोग यह समझते हैं कि वे मांसाहारी भोजन अच्छी तरह पचा सकेंगे। लोग यह समझते हैं कि रोमांस का आनंद वे ज्यादा उठा सकेंगे। लोग समझते हैं कि वे स्वस्थ हो सकेंगे। लेकिन बात ठीक इसके उल्टी ही होती है। हर नशा करने वाला इसे छोड़ना चाहता है, लेकिन वह एक बार चपेट में आने के बाद छोड़ नहीं पाता है। Nasha Sevan Se Mukti

फिर लोग नशा सेवन करते ही क्यों हैं ? दुर्जनों का संग साथ होने पर या आदतों की मजबूरी के कारण ? तात्कालिक मन की शांति भले मिल जाय, दीर्घकालीन तो घाटा ही घाटा है। समाज की विषमता को नशा सेवन से दूर नहीं किया जासकता। अमीरी-गरीबी की खाई भी नशा सेवन से दूर नहीं हो पाती।
नशा सेवन से हानि ही हानि है। नशा सेवन से शरीर की नसें कमजोर हो जाती हैं। नशा सेवन से पारिवारिक शांति भंग हो जाती है। पारिवारिक कलह बढ़ जाता है। पैसे की कमी होने लगती है। दारिद्रय बढ़ जाता है।

परिवार से बाहर जब पियक्कड़ निकलता है तो सामाजिक कलह पैदा होने लगता है। झगड़ा-झंझट होने लगता है। नशा पीकर नशेड़ी शूटर का भी धंधा अपनाने को मजबूर हो जाता है। नशा सेवन से अंततः राष्ट्र का नुकसान होता है। नशा सामग्री का पैसा आतंकवादियों को चला जाता है। इस पैसे से वे भारत पर चढ़ाई करते हैं। नशा सेवन से अंतर्राष्ट्रीय शांति में खलल पड़ने लगता है। नशा सेवकों की आर्थिक प्रगति रुक जाती है। उनका दिमाग विनाश की ओर जाने लगता है। निर्माण की बात उन्हें उल्टी जान पड़ती है। Nasha Sevan Se Mukti

नशा सेवक मानसिक रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं। नशा के अभाव में वे पागल हो जाते हैं। शराब से कैंसर होता है लीवर गल जाता है। किडनी फेल होने लगती है। हृदय कमजोर होकर फेल कर जाता है। स्मरण शक्ति विलुप्त होने लगती है। अंत में चोरी, पॉकेटमारी, डकैती जैसे बुरे कर्म करने पड़ते हैं। एक चम्मच पीना लाभदायक है। लेकिन नशा और अधिक नशे की माँग करता है और मनुष्य धीरे-धीरे उसकी गिरफ्त में आ जाता है। नशा सेवन पूरी मनुष्य जाति की मानवता को नष्ट कर देती है।

मादक पदार्थ यदि उपलब्ध ही न हों तो नशा सेवन पर रोक लग सकती है। लेकिन यह तो मुनाफे का धंधा है। यह धंधा राजनीतिज्ञों को भी पसंद है। सरकार को इससे टैक्स ज्यादा मिलता है। अतः यह धंधा रुक नहीं पाता है। नशा सेवन किसी-किसी देश में सामाजिक रूप से स्वीकृत है। यह उनकी रईसी की पहचान है। इसलिए नशे का सेवन बढ़ता ही जाता है। संसार में नशेड़ी-गंजेड़ी-शराबी ज्यादा हैं और इसे रोकने वाले कम हैं। अतः यह धंधा बढ़ता ही जाता है।

नशा सेवन सभी उपभोक्ताओं को अपराधी बनाता है। यह एक सामाजिक अपराध है। नशा सेवन से समाज की शक्ति भंग हो जाती है। व्यक्ति, समाज और देश उपद्रव ग्रस्त होने लगता है। अतः इस सामाजिक अपराध से देश को बचाना आवश्यक है। नशाबंदी के पक्ष में सभी को आगे आना होगा। नशाबंदी परिवार, समाज देश और विदेश की रक्षा कर सकती है। अतः इसे अपनाना होगा।


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